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Swami Shailendra Saraswati
स्वामी जी का जन्म 17 जून 1955 को गाडरवारा (म. प्र.) में ओशो के पांचवें भाई के रूप में हुआ। 1971 में नव संन्यास आंदोलन में शामिल हुए। 1973 में सागर विश्वविद्यालय में यूनिवर्सिटी टॉपर रहे। 1979 में जबलपुर मेडिकल कालेज से एम.बी.बी.एस. किया और उसी वर्ष मा अमृत प्रिया जी से विवाह किया।। फिर 1981 तक श्री रजनीश आश्रम, पूना की अस्पताल में अपनी सेवाएं दीं। 1985 तक रजनीशपुरम में रहे। तत्पश्चात बिड़ला की ओ.पी.एम. हास्पिटल में मेडिकल ऑफिसर के रूप में कार्य किया। ओशो के अंतिम दिनों में पुनः पूना में रहे।
स्वामी जी ने ओशो साहित्य का अनुवाद एवं संपादन किया है। 1998 से ध्यान शिविरों का संचालन, सार्वजनिक प्रवचन, प्रश्रोत्तर एवम मीडिया को साक्षात्कार देना प्रारंभ किया। तब से भारतवर्ष और नेपाल के अलावा विदेशों में भी निरंतर कार्यरत हैं। आस्था चैनल, श्रद्धा चैनल तथा अनेक यूट्यूब चैनल पर एक हजार से अधिक प्रवचन दे चुके हैं। ये प्रवचन 40 पुस्तकों, व सैकड़ों ऑडियो-वीडियो के रूप में उपलब्ध हैं। इनमें ओशो की शिक्षाओं की और आंतरिक जगत में छिपे रहस्यों की सरल प्रस्तुति, बड़ी अद्वितीय है। 2019 में ओशो फ्रेगरेन्स की स्थापना की। कोरोना काल के दौरान ओशो की ध्यान तकनीकों का ऑनलाइन अभ्यास कराना विशेष रूप से जारी है।
ओशो की उपस्थिति का अनुभव !
विदेही सदगुरु की उपस्थिति ओंकार-रूपी होती है, हम समाधि में डूबकर उनसे जुड़ते हैं। वे नाद-नूर स्वरूप हैं, प्रकाशमय संगीत हैं। यहां सुरति समाधि में, निरति समाधि में जो सिखाया जा रहा है, वह सदगुरु की उस अलौकिक सूक्ष्म उपस्थिति से जुड़ने का मार्ग है। सभी सदगुरु उस एक परमात्मा में ही समा जाते हैं। वहां सारी बूंदें अलग-थलग नहीं रहतीं। ऐसा नहीं हैं कि महावीर की बूंद अलग है, बुद्ध की बूंद अलग है, ओशो की बूंद अलग है। अब बूंदें, बूंदें ना रही, सब सागर में समा गई और सागर ही हो गईं ।
|| जीवन से ऊब गया हूँ; सब झूठ लगता है, जीने का कोई कारण समझ नहीं आता; क्या करूँ? ||
जीवन से ऊब गया हूँ, जीने का कोई कारण समझ नहीं आता, क्या करूँ?
सब झूठ लगता है सत्य की तलाश है, क्या करें?
जानिए इन प्रश्नों के उत्तर शैलेन्द्र जी से |
|| क्या दूसरों की सेवा करना ही जीवन का लक्ष्य है? ||
क्या दूसरों की सेवा करना ही जीवन का लक्ष्य है?
जानिए इस प्रश्नों के उत्तर शैलेन्द्र जी से |